Wide angle view of chaotic Indian airport terminal with departure boards showing multiple Indigo flights cancelled and stranded passengers sitting on floor
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नई दिल्ली/मुंबई: "अतिथि देवो भव:" यह वो मंत्र है जिसे भारत पूरी दुनिया में गर्व से प्रचारित करता है। लेकिन पिछले 48 घंटों में देश के हवाई अड्डों पर जो तस्वीरें सामने रही हैं, वे इस मंत्र का मजाक उड़ाती नजर आती हैं। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) का सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। पायलटों की कमी और नए नियमों की मार के चलते 1000 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो चुकी हैं।

इस भारी अव्यवस्था के बीच मुंबई एयरपोर्ट से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसने केवल सोशल मीडिया पर सनसनी फैला दी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख पर भी बट्टा लगाया है। एक विदेशी महिला, जो घंटों से अपनी फ्लाइट का इंतजार कर रही थी, गुस्से और हताशा में एयरलाइन के चेक-इन काउंटर पर चढ़ गई। उसकी चीखें सिर्फ उसका गुस्सा नहीं, बल्कि सिस्टम की लाचारी को बयां कर रही थीं।

आइए, इस पूरी घटना और इसके पीछे की वजहों का गहराई से विश्लेषण करते हैं।

1. वह वायरल वीडियो: हताशा की हद और सिस्टम की पोल

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में एक विदेशी महिला इंडिगो के स्टाफ पर चिल्लाती हुई दिखाई दे रही है। उसकी फ्लाइट रद्द हो गई थी, और एयरलाइन की तरफ से उसे तो रिफंड मिल रहा था, खाना और ही अगली फ्लाइट की जानकारी।

  1. गुस्सा क्यों फूटा: महिला का कहना था कि उसका सारा सामान (Luggage) चेक-इन हो चुका है और उसके पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं हैं। वह भूखी-प्यासी एयरपोर्ट पर फंसी हुई थी। जब धैर्य का बांध टूटा, तो वह काउंटर पर चढ़ गई। स्टाफ लाचार खड़ा उसे देखता रहा।
  2. शर्मनाक तस्वीर: एक विदेशी पर्यटक का इस तरह एयरपोर्ट काउंटर पर चढ़कर चीखना कोई सामान्य घटना नहीं है। यह दर्शाता है कि उसे किस हद तक मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी होगी। सुरक्षाकर्मी उसे समझा रहे थे, लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं थी। यह वीडियो अब पूरी दुनिया में देखा जा रहा है, और सवाल यह है कि क्या यह वो 'न्यू इंडिया' है जिसे हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं?

2. आखिर क्यों हुआ यह संकट? (असली वजह)

यह पूरा हंगामा अचानक नहीं हुआ है। इसके पीछे सरकार के नए नियम और एयरलाइंस की लापरवाही का मिला-जुला असर है।

  1. FDTL (Flight Duty Time Limitations) नियम: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पायलटों की थकान (Pilot Fatigue) को कम करने के लिए उड़ान ड्यूटी के नियमों में बदलाव किया है। यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया था, ताकि थके हुए पायलटों की वजह से हादसे हों।
  2. पायलट्स की कमी: नए नियमों का मतलब है कि एक पायलट अब कम घंटे उड़ान भरेगा। इसका सीधा असर यह हुआ कि एयरलाइंस को वही शेड्यूल बनाए रखने के लिए 20% से 30% अधिक पायलटों की जरूरत पड़ी, जो उनके पास मौजूद नहीं थे। नतीजा यह हुआ कि बिना पायलट के हजारों फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ीं।

3. सरकार की मंशा सही, लेकिन तरीका गलत?

यहाँ सबसे बड़ा सवाल सरकार और नियामक संस्थाओं (Regulators) की कार्यशैली पर उठता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और पायलटों को आराम मिलना चाहिए। सरकार का यह फैसला मानवीय दृष्टिकोण से बिल्कुल सही था। लेकिन, "बिना बैकअप प्लान के नियम लागू करना एक तरह की प्रशासनिक विफलता है।"

  1. समीक्षा की कमी: क्या नियम लागू करने से पहले इस बात की समीक्षा (Review) की गई थी कि इसका एयरलाइंस के ऑपरेशन पर क्या असर पड़ेगा? अगर पता था कि पायलट कम हैं, तो एयरलाइंस को भर्ती के लिए पर्याप्त समय क्यों नहीं दिया गया?
  2. यात्रियों को बली का बकरा बनाया गया: दो हाथियों (सरकार और एयरलाइन) की लड़ाई में घास (आम यात्री) कुचली जा रही है। अगर नियम लागू करना ही था, तो इसे चरणबद्ध तरीके से (Phase-wise) किया जा सकता था, कि रातों-रात पूरे सिस्टम को ठप करके।
  3. महंगाई की मार: फ्लाइट्स कैंसिल होने से दूसरी फ्लाइट्स के दाम आसमान छू रहे हैं। जो टिकट 5 हजार का था, वह 25 हजार में बिक रहा है। इसका जिम्मेदार कौन है? यह आम आदमी की जेब पर सीधा डाका है।

4. 'ब्रांड इंडिया' को गहरा धक्का

जब हम "Make in India" और "Visit India" की बात करते हैं, तो हमें यह समझना होगा कि इंफ्रास्ट्रक्चर और सर्विस उसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं।

  1. पर्यटन पर असर: दिसंबर का महीना भारत में पर्यटन का पीक सीजन होता है। लाखों विदेशी पर्यटक भारत आते हैं। जब वे अपने देश लौटकर बताएंगे कि भारत के एयरपोर्ट्स पर कैसी अराजकता है, तो क्या वे या उनके दोस्त दोबारा भारत आना चाहेंगे?
  2. सोशल मीडिया का दौर: आज के दौर में एक वीडियो देश की छवि बनाने या बिगाड़ने के लिए काफी है। वह विदेशी महिला जब अपने देश के मीडिया में बात करेगी, तो हेडलाइन यह नहीं होगी कि "पायलटों की कमी थी", हेडलाइन होगी "भारत के एयरपोर्ट्स पर नर्क जैसे हालात।"

5. आम आदमी की पीड़ा: शादियां और इमरजेंसी

सिर्फ विदेशी ही नहीं, हजारों भारतीय भी इस अव्यवस्था के शिकार हैं।

  1. शादियों का सीजन: कई परिवार शादियों में जाने के लिए निकले थे, लेकिन वे एयरपोर्ट पर ही फंसे रह गए। दूल्हा कहीं और, बाराती कहीं और। उनकी खुशियां तनाव में बदल गईं।
  2. मेडिकल इमरजेंसी: कई लोग इलाज के लिए बड़े शहरों में जा रहे थे। उनकी फ्लाइट कैंसिल होने का मतलब है जीवन के साथ खिलवाड़।
  3. छात्र और नौकरीपेशा: इंटरव्यू देने जाने वाले छात्रों और ऑफिस जाने वालों का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कौन करेगा? एयरलाइंस सिर्फ "Sorry" बोलकर पल्ला झाड़ रही हैं, जो काफी नहीं है।

निष्कर्ष: अब आगे क्या?

यह घटना सरकार और उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) के लिए एक "वेक-अप कॉल" (Wake-up Call) है। नियम बनाना सरकार का काम है, लेकिन उस नियम का धरातल पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका आकलन करना उससे भी ज्यादा जरूरी है।

सुरक्षा जरूरी है, लेकिन व्यवस्था भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और एयरलाइंस को जवाबदेह बनाना चाहिए। साथ ही, भविष्य में कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले एक "इम्पैक्ट असेसमेंट" (Impact Assessment) और "बैकअप प्लान" तैयार रखना चाहिए। अगर हम चाहते हैं कि दुनिया भारत का सम्मान करे, तो हमें अपने मेहमानों और अपने नागरिकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना सीखना होगा। वरना 'विश्व गुरु' बनने का सिर्फ सपना ही रह जाएगा।


डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।