Symbolic illustration of a closed door meeting being interrupted by a silhouette representing diplomatic breach and embarrassment
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मास्को/तुर्कमेनिस्तान: पाकिस्तान की कूटनीति के इतिहास में शायद इससे बुरा दिन पहले कभी नहीं आया होगा। रूस दौरे पर गए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ जो हुआ, उसे कूटनीतिक भाषा में "Disaster" (आपदा) और आम भाषा में "घोर अपमान" कहा जा रहा है।

खबर है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ तय द्विपक्षीय बैठक के लिए शहबाज शरीफ तैयार होकर पहुंचे, लेकिन पुतिन वहां आए ही नहीं। हद तो तब हो गई जब लगभग 40 मिनट तक खाली कमरे में दीवारों को ताकने के बाद, पाकिस्तानी पीएम ने कूटनीतिक मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की चल रही एक 'क्लोज्ड डोर मीटिंग' में अनधिकृत प्रवेश (Gatecrash) कर दिया। वहां भी उन्हें सिर्फ 10 मिनट रुकने दिया गया और बिना किसी औपचारिक बातचीत या द्विपक्षीय बैठक के उन्हें वापस लौटना पड़ा।

आइए विस्तार से जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम को जिसने पूरी दुनिया में पाकिस्तान की किरकिरी करा दी है।

1. खाली कुर्सी और 40 मिनट का सन्नाटा

शहबाज शरीफ अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ तय समय पर मीटिंग वेन्यू पर पहुंच गए थे। प्रोटोकॉल के मुताबिक, उन्हें बताया गया था कि राष्ट्रपति पुतिन कुछ ही देर में वहां पहुंचेंगे।

  1. शरीफ अपनी सीट पर बैठे रहे, बार-बार घड़ी देखते रहे और अपने बाल संवारते रहे। लेकिन मिनट-दर-मिनट बीतते गए और रूसी खेमे से कोई नहीं आया।
  2. 40 मिनट से ज्यादा का समय बीत गया। एक प्रधानमंत्री के लिए इतना लंबा इंतजार करना अपने आप में प्रोटोकॉल का उल्लंघन और बड़ा अपमान माना जाता है।
  3. आमतौर पर अगर मेजबान नेता को देर होती है, तो उनके अधिकारी आकर खेद जताते हैं या समय आगे बढ़ा देते हैं। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ। शहबाज शरीफ को वस्तुतः "घोस्ट" (Ghost) कर दिया गया, यानी पूरी तरह अनदेखा।

2. जब सब्र टूटा: दूसरी मीटिंग में 'जबरदस्ती' एंट्री

जब शहबाज शरीफ को लगा कि पुतिन शायद आएंगे ही नहीं, तो हताशा में उन्होंने वह कदम उठाया जिसकी उम्मीद किसी राष्ट्र प्रमुख से नहीं की जाती।

  1. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पास के ही एक कमरे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी।
  2. शहबाज शरीफ अपने कुछ अधिकारियों के साथ उस मीटिंग रूम की तरफ बढ़ गए। इसे कूटनीतिक हलकों में "Gatecrashing" (बिना निमंत्रण के घुसना) कहा जा रहा है।
  3. वहां अचानक पाकिस्तानी पीएम को देखकर पुतिन और एर्दोगन भी हैरान रह गए। सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिहाज से भी यह एक बहुत बड़ी चूक और अजीबोगरीब स्थिति थी।

3. सिर्फ 10 मिनट और 'वॉक ऑफ शेम'

इस "साहसिक" लेकिन मूर्खतापूर्ण कदम का नतीजा वही हुआ जिसका डर पुरे पाकिस्तान को था। 

  1. सूत्रों के मुताबिक, शहबाज शरीफ उस कमरे में बमुश्किल 10 मिनट ही रुक पाए।
  2. वहां तो पाकिस्तान के झंडे लगे थे और ही द्विपक्षीय बातचीत की कोई तैयारी थी। पुतिन और एर्दोगन अपनी गंभीर चर्चा में व्यस्त थे।
  3. 10 मिनट की असहज उपस्थिति के बाद, शहबाज शरीफ को वहां से निकलना पड़ा। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस "द्विपक्षीय बैठक" (Bilateral Meeting) के लिए वे पाकिस्तान से रूस गए थे, वह बैठक हुई ही नहीं। वे बिना किसी औपचारिक बातचीत, बिना किसी समझौते और बिना किसी संयुक्त बयान के वापस लौट आए।

4. रूस का संदेश: पाकिस्तान 'प्राथमिकता' नहीं

पुतिन का अपनी तय मीटिंग में आना और फिर पाकिस्तानी पीएम को इस तरह नजरअंदाज करना कोई गलती नहीं, बल्कि एक सोचा-समझा संदेश है।

  1. रूस ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता सूची में पाकिस्तान कहीं नहीं है।
  2. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि शायद रूस भारत को नाराज नहीं करना चाहता, या फिर पाकिस्तान की गिरती आर्थिक साख के कारण मास्को को उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।
  3. एक परमाणु संपन्न देश के प्रधानमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार यह दिखाता है कि दुनिया अब पाकिस्तान को एक संप्रभु राष्ट्र के बजाय एक "मांगने वाले" (beggar state) के रूप में देख रही है।

5. पाकिस्तान में भूचाल: 'इससे तो घर बैठते'

इस घटना की खबरें जैसे ही पाकिस्तान पहुंचीं, वहां वहां की राजनीति में कोहराम मच गया।

  1. सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी जनता अपने प्रधानमंत्री को कोस रही है। लोग कह रहे हैं कि "अगर बेइज्जती ही करानी थी तो रूस जाने की क्या जरूरत थी?"
  2. विपक्ष ने इसे "राष्ट्रीय शर्म" (National Embarrassment) करार दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने देश के पासपोर्ट की बची-खुची इज्जत भी मिट्टी में मिला दी है।
  3. पाकिस्तानी मीडिया के एंकर्स लाइव टीवी पर इस घटना का मजाक उड़ा रहे हैं और तुलना कर रहे हैं कि कैसे भारतीय पीएम का रूस में रेड कार्पेट वेलकम होता है और उनके पीएम को गेटक्रैश करना पड़ता है।

6. भारत से तुलना: जमीन-आसमान का फर्क

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और पाकिस्तान की हैसियत का अंतर इस घटना से बिल्कुल साफ हो गया है।

  1. जब पीएम मोदी रूस जाते हैं, तो पुतिन प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें रिसीव करने आते हैं, उन्हें गले लगाते हैं और "माई डियर फ्रेंड" कहकर संबोधित करते हैं।
  2. दूसरी तरफ, पाकिस्तानी पीएम को अपॉइंटमेंट मिलने के बाद भी घोस्ट कर दिया जाता है।
  3. यह फर्क सिर्फ नेताओं का नहीं, बल्कि देशों की अर्थव्यवस्था और कूटनीतिक वजन (Diplomatic Weight) का है। भारत एक ग्लोबल पावर है जिससे रूस को फायदा है, जबकि पाकिस्तान सिर्फ मदद मांगने गया था।

निष्कर्ष: कूटनीतिक आत्महत्या

'राजनेतिक रिपोर्ट' का विश्लेषण यह है कि शहबाज शरीफ का यह कदम "कूटनीतिक आत्महत्या" जैसा है। इंतजार करना अपमानजनक था, लेकिन दूसरी मीटिंग में घुस जाना मूर्खतापूर्ण था। इसने पाकिस्तान की छवि को एक ऐसे देश की बना दी है जो हताशा में किसी भी हद तक गिर सकता है। पुतिन ने बिना एक शब्द बोले पाकिस्तान को उसकी जगह दिखा दी है। अब देखना होगा कि इस्लामाबाद इस शर्मिंदगी से कैसे उबरता है, हालांकि दाग इतना गहरा है कि इसे मिटाना आसान नहीं होगा।

 

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डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।