Indian Parliament building and grounded airplanes with cancelled flight board symbolizing political crisis over IndiGo airlines
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नई दिल्ली: "हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में उड़ेगा" सरकार का यह नारा पिछले 72 घंटों में देश के हवाई अड्डों पर दम तोड़ता नजर आया। इंडिगो एयरलाइंस (IndiGo) की 1000 से ज्यादा उड़ानें रद्द होने और हजारों यात्रियों के फंसने का मुद्दा अब सिर्फ एयरपोर्ट के लाउंज तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी गूंज देश की संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र तक पहुँच गई है।

शुक्रवार को राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा। आलम यह था कि कई माननीय सांसद (MPs) खुद फ्लाइट कैंसिल होने की वजह से संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने नहीं पहुँच पाए। इसके बाद सदन में जो हंगामा हुआ, उसने सरकार को बैकफुट पर धकेल दिया और उड्डयन मंत्री को सख्त बयान देने पर मजबूर होना पड़ा।

आइए इस पूरे राजनीतिक और सिस्टमैटिक संकट का गहराई से विश्लेषण करते हैं।

1. संसद में शून्यकाल बना 'हंगामा काल'

शुक्रवार को जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष ने इंडिगो संकट को 'राष्ट्रीय महत्व' का मुद्दा बताते हुए चर्चा की मांग की।

  1. राज्यसभा में तीखी बहस: कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने शून्यकाल (Zero Hour) के दौरान सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक एयरलाइन का फेलियर नहीं है, यह सरकार की नाक के नीचे चल रही 'मनमानी' है। कई सांसद अपने संसदीय क्षेत्र नहीं जा पा रहे और जो गए थे, वे वापस नहीं पा रहे। जब सांसदों का यह हाल है, तो आम जनता का क्या होगा?"
  2. नोटिस पर नोटिस: शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने नियम 267 के तहत कामकाज रोककर चर्चा करने का नोटिस दिया। उनका कहना था कि जब देश की सबसे बड़ी एयरलाइन (जिसका 60% मार्केट शेयर है) रातों-रात हाथ खड़े कर दे, तो इसे एक सामान्य कॉर्पोरेट विफलता नहीं, बल्कि एक 'राष्ट्रीय संकट' माना जाना चाहिए।
  3. सांसदों का निजी दर्द: कई सांसदों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की कि वे इंडिगो की फ्लाइट से आने वाले थे, लेकिन ऐन मौके पर फ्लाइट कैंसिल हो गई और उन्हें कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं दी गई।

2. राहुल गांधी का 'मोनोपोली' वाला वार

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सदन के बाहर और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को एक अलग ही एंगल दिया। उन्होंने इसे "सरकार का एकाधिकार मॉडल" (Monopoly Model) करार दिया।

  1. एकाधिकार का खतरा: राहुल गांधी ने कहा कि इंडिगो संकट इस बात का सबूत है कि जब आप पूरे बाजार को सिर्फ एक या दो खिलाड़ियों (Duopoly) के भरोसे छोड़ देते हैं, तो सिस्टम ऐसे ही ध्वस्त होता है।
  2. आम आदमी की जेब पर डाका: उन्होंने कहा, "जब कॉम्पिटिशन खत्म हो जाता है, तो कंपनियां मनमानी करती हैं। इंडिगो की फ्लाइट्स कैंसिल हुईं, तो दूसरी एयरलाइंस ने टिकट के दाम 3-4 गुना बढ़ा दिए। यह आपदा में अवसर नहीं, बल्कि आपदा में लूट है।"

3. उड्डयन मंत्री का पलटवार: "गलती इंडिगो की है, नियम की नहीं"

संसद में भारी हंगामे के बीच नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू (Ram Mohan Naidu) ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने इंडिगो एयरलाइंस को क्लीन चिट देने के बजाय सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई।

  1. "मिसमैनेजमेंट" (Kharap Prabandhan): मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह संकट सरकार के नए FDTL (पायलट ड्यूटी) नियमों की वजह से नहीं, बल्कि इंडिगो के खराब प्रबंधन की वजह से हुआ है। उन्होंने तर्क दिया, "बाकी एयरलाइंस (जैसे एयर इंडिया, स्पाइसजेट) भी इन्हीं नियमों के तहत काम कर रही हैं, लेकिन उनका ऑपरेशन ठप नहीं हुआ। सिर्फ इंडिगो फेल हुई है, क्योंकि उन्होंने पायलटों की रोस्टरिंग सही से नहीं की।"
  2. "कोई नहीं बचेगा": मंत्री ने संसद को भरोसा दिलाया कि एक उच्च-स्तरीय जांच (High-Level Probe) के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, "जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी (Those responsible will have to pay for it)"

4. आखिर क्या है FDTL और क्यों मचा बवाल?

इस पूरे संकट की जड़ में FDTL (Flight Duty Time Limitations) नियम हैं। इसे समझना जरूरी है।

  1. सुरक्षा बनाम प्रॉफिट: डीजीसीए (DGCA) ने पायलटों की थकान (Pilot Fatigue) को कम करने के लिए नए नियम बनाए थे। इसके तहत पायलटों को हफ्ते में ज्यादा आराम (Rest) मिलना था। यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी था।
  2. गणित बिगड़ा: इंडिगो ने यह अनुमान नहीं लगाया कि नए नियमों के कारण उन्हें 20-30% ज्यादा पायलटों की जरूरत पड़ेगी। जब 1 जून से नियम सख्त होने की बात आई, तो उनके पास पर्याप्त पायलट नहीं थे।
  3. सरकार का यू-टर्न: संकट बढ़ता देख सरकार ने फिलहाल इन नए नियमों को 'ठंडे बस्ते' (Abeyance) में डाल दिया है। यानी, अभी पुराने नियमों से ही काम चलेगा ताकि फ्लाइट्स उड़ सकें। इसे विपक्ष ने "यात्रियों की सुरक्षा से समझौता" बताया है।

5. आम आदमी और 'ब्रांड इंडिया' को नुकसान

संसद में बहस अपनी जगह है, लेकिन जमीन पर हालात बदतर हैं।

  1. शादियां और इमरजेंसी: भारत में शादियों का सीजन चल रहा है। हजारों परिवार एयरपोर्ट्स पर फंसे हैं। किसी की कनेक्टिंग फ्लाइट छूट गई, तो किसी का सामान (Luggage) गायब हो गया।
  2. वैश्विक छवि: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो (जैसे काउंटर पर चढ़ी विदेशी महिला) ने दुनिया भर में भारत की छवि को नुकसान पहुँचाया है। विदेशी पर्यटक अब भारत आने से पहले दो बार सोचेंगे।
  3. किराए में आग: दिल्ली से मुंबई या पटना जाने का किराया, जो 5-6 हजार होता था, वह 25 हजार से 30 हजार तक पहुँच गया है। सरकार ने 'फेयर कैप' (Fare Cap) की बात कही है, लेकिन ट्रैवल पोर्टल्स पर अभी भी लूट जारी है।

6. अब आगे क्या? (निष्कर्ष)

सरकार ने तीन बड़े कदम उठाए हैं: रिफंड देने का आदेश, किराए पर निगरानी और नियमों में अस्थायी ढील। लेकिन क्या यह काफी है?

यह घटना एक "वेक-अप कॉल" है। सरकार को समझना होगा कि सिर्फ नए एयरपोर्ट बनाने से काम नहीं चलेगा, उन्हें चलाने के लिए मजबूत सिस्टम और स्किल्ड मैनपावर (पायलट, क्रू) भी चाहिए। साथ ही, एविएशन सेक्टर में मनमानी किराया वसूली को खत्म करना होगा, वरना आज इंडिगो ने हाथ खड़े किए हैं, कल कोई और करेगा, और भुगतेगा सिर्फ आम आदमी।

संसद में मंत्री जी का बयान स्वागत योग्य है, लेकिन जनता को 'बयान' नहीं, 'उड़ान' चाहिए वह भी समय पर और सही दाम में।

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डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।