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अफ्रीका के इथियोपिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट का असर अब भारत की राजधानी दिल्ली तक दिखाई देने लगा है। ज्वालामुखी से उठकर वातावरण में घुले राख के सूक्ष्म कण हवा के रुख के साथ हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हुए दिल्ली के ऊपर तक पहुंच गए हैं।
मंगलवार सुबह से ही राजधानी के आसमान में हल्की धुंध, राख जैसी परत और धुंधलापन महसूस किया गया, जिसने लोगों को हैरान कर दिया है।
उड़ानों पर पड़ा बड़ा असर
इस प्राकृतिक घटना का सबसे सीधा असर दिल्ली एयरपोर्ट (IGI Airport) पर पड़ा है। दृश्यता (Visibility) कम होने और सुरक्षा कारणों से कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं, वहीं कुछ को लंबे समय तक रोककर रखा गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, पायलटों के लिए राख भरे आसमान में उड़ान भरना बेहद जोखिम भरा होता है, क्योंकि ज्वालामुखीय राख (Volcanic Ash) विमान के इंजन और नेविगेशन सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। कई यात्री सुबह से एयरपोर्ट पर फंसे रहे—किसी की मीटिंग छूटी, तो किसी की यात्रा योजनाएं बिगड़ गईं।
दिल्ली में क्यों छाया धुंधलका?
दिल्ली वैसे ही प्रदूषण की समस्या से जूझती रहती है, लेकिन इस बार राख की परत ने वातावरण को और भारी बना दिया है। सुबह का सूरज हल्का पीला और धुंध के पीछे दबा हुआ दिखाई दिया।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, ज्वालामुखीय राख अत्यंत महीन होती है और ऊंचाई पर जाकर सूर्य की रोशनी को अवरुद्ध (Block) करती है, जिससे दिन के समय भी शाम जैसा माहौल बन जाता है।
स्वास्थ्य पर असर और बचाव
अचानक बढ़े इन सूक्ष्म कणों की वजह से लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
- आंखों में जलन और पानी आना।
- खांसी और गले में खराश।
- सांस लेने में भारीपन।
डॉक्टरों की सलाह:विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और दमा के मरीजों को सावधान रहने की जरूरत है।
- बाहर निकलने पर मास्क (Mask) जरूर पहनें।
- आंखों को साफ पानी से धोते रहें।
- तेज शारीरिक गतिविधियों (जैसे रनिंग) से फिलहाल बचें।
आने वाले दिनों में स्थिति कैसी रहेगी?
मौसम विभाग का कहना है कि ऊंचाई पर बहने वाली हवाओं के रुख में बदलाव होने पर अगले कुछ दिनों में राख का असर कम हो सकता है। हालांकि, हालात पूरी तरह सामान्य कब तक होंगे, इसका अभी स्पष्ट अनुमान नहीं लगाया गया है।
निष्कर्ष
इथियोपिया में हुआ विस्फोट भले ही हजारों किलोमीटर दूर हो, लेकिन उसकी राख ने यह साफ कर दिया है कि प्रकृति की कोई सीमा नहीं होती। एक जगह की प्राकृतिक घटना दुनिया के दूसरे कोने में बसे शहरों की जिंदगी को भी प्रभावित कर सकती है।
डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।

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