![]() |
| AI Generated Image |
दिल्ली में आयोजित एक बड़े सिंधी समुदाय के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसा बयान दिया, जिसने देश-विदेश में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि, "आज भले ही सिंध हमारी भौगोलिक सीमा का हिस्सा नहीं है, लेकिन सांस्कृतिक रूप से सिंध हमेशा भारत की आत्मा से जुड़ा रहा है। सीमाएँ कभी भी स्थायी नहीं होतीं, भविष्य में क्या हो जाए, कौन जानता है? सिंध फिर भारत से जुड़ भी सकता है।"
कार्यक्रम में उन्होंने यह भी याद दिलाया कि सिंधी समाज के बुज़ुर्ग आज तक सिंध के भारत से अलग होने की पीड़ा महसूस करते हैं। उनका कहना था कि इतिहास ने भले ही सीमाएँ खींच दी हों, लेकिन संस्कृति की डोर आज भी उतनी ही मजबूत है।
पाकिस्तान की तिलमिलाहट: इस्लामाबाद से आया लेटर
राजनाथ सिंह के इस बयान ने पाकिस्तान सरकार को तिलमिला दिया है। इस्लामाबाद ने तत्काल एक आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी करते हुए कहा कि यह टिप्पणी "उकसाने वाली, गैर-जिम्मेदाराना और संप्रभुता पर हमला" है।
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत ऐसे बयान देकर क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। उनका कहना था कि भारत को अपने देश के आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि पड़ोसी देशों की सीमाओं पर टिप्पणी करनी चाहिए। पाकिस्तान ने इसे भारत की "खतरनाक संशोधनवादी सोच" बताया है।
सिंध के अंदर सुलगती आग
दिलचस्प बात यह है कि सिंध के भीतर हाल के वर्षों में असंतोष लगातार बढ़ रहा है। Jeay Sindh Movement जैसे समूह खुलकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
सिंध के लोगों में कई मुद्दों को लेकर भारी नाराज़गी है:
- राजनीतिक कार्यकर्ताओं का गायब होना।
- स्थानीय संसाधनों पर बाहरी (पंजाबी) नियंत्रण।
- पानी और जमीन के वितरण में भेदभाव।
- सिंधी सांस्कृतिक अधिकारों का हनन।
कई इलाकों में लोग खुलेआम कहते हैं कि उन्हें पाकिस्तान से कोई लाभ नहीं मिलता—बल्कि केवल दमन और उपेक्षा ही मिलती है।
2025: भारत की बदली हुई रणनीति?
राजनाथ सिंह का बयान सिर्फ एक सांस्कृतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संकेत भी माना जा रहा है। 2025 की भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा आत्मविश्वास से अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दावेदारी को सार्वजनिक मंचों पर व्यक्त कर रहा है।
क्या यह कोई औपचारिक रणनीति है? यह कहना अभी मुश्किल है। सीमाएँ बदलना शब्दों से नहीं; कूटनीति, रणनीति और समय के साथ तय होता है। लेकिन इतना जरूर है कि भारत अब पड़ोसी देशों के भीतर चल रहे असंतोष खासतौर पर बलूचिस्तान, POK और अब सिंध को लेकर ज्यादा खुलकर बोल रहा है।
निष्कर्ष
यह बयान संकेत देता है कि भारत 2025 में सिर्फ रक्षा या अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भू-राजनीति (Cultural Geopolitics) के जरिए भी अपना प्रभाव स्थापित करना चाहता है। अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान की तिलमिलाहट आगे क्या रूप लेती है।
डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।

0 टिप्पणियाँ