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नई दिल्ली: भारत में एक नया और खतरनाक साइबर क्राइम बहुत तेजी से पैर पसार रहा है, जिसे 'डिजिटल अरेस्ट' (Digital Arrest) का नाम दिया गया है। यह स्कैम इतना शातिर है कि इसमें सिर्फ कम पढ़े-लिखे ही नहीं, बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर और रिटायर्ड अधिकारी भी फंस रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'मन की बात' कार्यक्रम में इस स्कैम का जिक्र किया और देशवासियों को सचेत किया।

क्या आपने कभी सोचा है कि कोई आपको घर बैठे वीडियो कॉल पर 'गिरफ्तार' कर सकता है? यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन स्कैमर्स अब इसी डर का फायदा उठाकर लोगों की गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं।

क्या है 'डिजिटल अरेस्ट'? (What is Digital Arrest?)

डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा साइबर फ्रॉड है जिसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई (CBI), नारकोटिक्स विभाग (NCB) या आरबीआई (RBI) का अधिकारी बताकर पीड़ित को वीडियो कॉल करते हैं। वे दावा करते हैं कि आपके आधार कार्ड, सिम कार्ड या बैंक खाते का इस्तेमाल किसी अवैध गतिविधि (जैसे ड्रग्स तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग) में हुआ है।

इसके बाद, वे पीड़ित को वीडियो कॉल पर ही 'नजरबंद' (House Arrest) कर लेते हैं और डराते हैं कि अगर उन्होंने पैसा नहीं दिया, तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यह डर इतना असली लगता है कि लोग घंटों तक वीडियो कॉल के सामने बैठे रहते हैं और अपनी जमा-पूंजी ठगों के हवाले कर देते हैं।

स्कैम का तरीका: कैसे जाल में फंसाते हैं ठग? (Modus Operandi)

ठगों का तरीका इतना प्रोफेशनल होता है कि पहचानना मुश्किल हो जाता है। वे इन स्टेप्स को फॉलो करते हैं:

  1. कॉल की शुरुआत: आपको एक ऑटोमेटेड कॉल या असली इंसान का फोन आता है, जो कहता है कि "आपके नाम का एक पार्सल पकड़ा गया है जिसमें ड्रग्स हैं" या "आपके आधार से जुड़े सिम से गैरकानूनी काम हो रहा है।"
  2. वीडियो कॉल पर शिफ्ट करना: वे आपको स्काइप (Skype) या व्हाट्सएप (WhatsApp) वीडियो कॉल पर आने के लिए कहते हैं।
  3. नकली पुलिस स्टेशन: वीडियो कॉल पर आपको पुलिस जैसी वर्दी पहने लोग, पीछे पुलिस स्टेशन जैसा सेट-अप, सरकारी लोगो और फाइलें दिखाई देती हैं। यह सब नकली होता है, लेकिन असली जैसा दिखता है।
  4. डराना और धमकाना: वे कहते हैं कि आपके खिलाफ वारंट जारी हो चुका है। आपको किसी से बात करने की इजाजत नहीं होती। वे आपको 'डिजिटल अरेस्ट' घोषित कर देते हैं।
  5. पैसों की मांग: आखिर में, वे कहते हैं कि "वेरिफिकेशन" के लिए आपको अपने पैसे एक 'सीक्रेट सरकारी खाते' में ट्रांसफर करने होंगे। जांच पूरी होने पर पैसे वापस मिल जाएंगे। लेकिन असल में वह पैसा कभी वापस नहीं आता क्यूंकि वह असली अधिकारी नहीं बल्कि स्कैमर होते है।

पीएम मोदी का मंत्र: 'रुको, सोचो और एक्शन लो'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्कैम से बचने के लिए तीन सरल मंत्र दिए हैं:

  1. रुको (Stop): जैसे ही ऐसा कोई कॉल आए, घबराएं नहीं। तुरंत फोन काटें, लेकिन उनकी बातों में आकर कोई कदम उठाएं।
  2. सोचो (Think): खुद से सवाल पूछेंक्या पुलिस वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है? क्या कोई सरकारी एजेंसी व्हाट्सएप पर पैसे मांगती है? जवाब हैबिल्कुल नहीं भारत का कानून 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी किसी चीज की इजाजत नहीं देता।
  3. एक्शन लो (Take Action): तुरंत कॉल रिकॉर्ड करें या स्क्रीनशॉट लें। राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।

असली और नकली की पहचान कैसे करें?

  1. कानून: भारतीय कानून में पुलिस या एजेंसियां वीडियो कॉल (WhatsApp/Skype) पर पूछताछ या गिरफ्तारी नहीं करतीं। अगर पुलिस को आपसे पूछताछ करनी होगी, तो वे आपको थाने बुलाएंगे या खुद घर आएंगे।
  2. पैसा: कोई भी जांच एजेंसी (CBI/ED/Police) कभी भी फोन पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए नहीं कहती। 'वेरिफिकेशन' के नाम पर पैसा मांगना 100% फ्रॉड है।
  3. धमकी: अगर कोई कॉलर आपको डरा रहा है कि "किसी को मत बताना" या "कमरा बंद कर लो", तो समझ जाइए कि वह स्कैमर है।

अगर आप शिकार बन जाएं, तो क्या करें?

अगर गलती से आप इस जाल में फंस गए हैं, तो घबराने के बजाय ये कदम उठाएं:

  1. हेल्पलाइन: तुरंत 1930 डायल करें। यह भारत सरकार का साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर है।
  2. रिपोर्ट करें: cybercrime.gov.in पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं।
  3. बैंक: अपने बैंक को सूचित करें ताकि ट्रांजैक्शन रोका जा सके।
  4. ब्लॉक: उस नंबर को ब्लॉक और रिपोर्ट करें।

निष्कर्ष

डिजिटल दुनिया में सुविधा के साथ-साथ जोखिम भी बढ़े हैं। 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम का सबसे बड़ा हथियार हमारा 'डर' है। अगर हम जागरूक रहेंगे और डरेंगे नहीं, तो ठग हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। याद रखें, कानून डराता नहीं, सुरक्षा करता है।

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डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।