जेल से
बाहर आकर उज्मा
खानम ने जो
बताया, उसने पीटीआई
(PTI) समर्थकों को
राहत तो दी,
लेकिन साथ ही
नए सवाल भी
खड़े कर दिए
हैं। उन्होंने साफ़
कहा "खान साहब ज़िंदा हैं और ठीक हैं, लेकिन उन्हें
बुरी तरह मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।"
1. मुलाकात के बाद बहन का बड़ा बयान
भारी सुरक्षा और
धारा 144 के बीच
हुई इस मुलाकात के
बाद उज्मा खानम
ने मीडिया को
बताया:
- सेहत: "इमरान खान शारीरिक रूप
से पूरी तरह
फिट (Fit) हैं। उनका वजन
कम नहीं हुआ
है और वे
स्वस्थ दिख रहे
हैं।"
- टॉर्चर का आरोप: "लेकिन उन्हें एक
काल कोठरी (Solitary Confinement) में रखा
गया है जहाँ
उन्हें किसी से
बात करने की
इजाजत नहीं है।
यह एक तरह
का 'मेंटल टॉर्चर'
है। भाई बहुत
गुस्से में थे
और उन्होंने कहा
कि उनके साथ
जो हो रहा
है, उसके लिए
सीधे तौर पर
आर्मी चीफ आसिम मुनीर जिम्मेदार हैं।"
2. मौत की अफवाहें और सरकार का यू-टर्न
यह मुलाकात इतनी
आसानी से नहीं
हुई। पिछले 3 हफ्तों
से इमरान खान
को किसी से
मिलने नहीं दिया
जा रहा था।
- अफवाहों का बाजार: सोशल मीडिया पर यह खबर आग की तरह फ़ैल गई थी कि जेल में इमरान की हत्या कर दी गई है। उनके बेटे कासिम खान ने भी लंदन से बयान जारी कर कहा था कि उन्हें डर है कि उनके पिता के साथ कुछ "अनहोनी" हो गई है।
- सरकार का झुकना: इन अफवाहों के चलते पीटीआई ने आज इस्लामाबाद और रावलपिंडी में "करो या मरो" वाले प्रदर्शन का ऐलान किया था। हालात बिगड़ते देख और गृह युद्ध (Civil War) के डर से, शहबाज शरीफ सरकार और सेना को झुकना पड़ा और उन्होंने आनन-फानन में बहन को मिलने की इजाजत दी ताकि दुनिया को बताया जा सके कि इमरान ज़िंदा हैं।
3. सड़कों पर संग्राम: PTI का शक्ति प्रदर्शन
इमरान की
एक झलक या
खबर पाने के
लिए आज पाकिस्तान की
सड़कों पर सैलाब
उमड़ पड़ा।
- धारा 144 बेअसर: सरकार ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी को छावनी में तब्दील कर दिया था, इंटरनेट बंद कर दिया था और धारा 144 लगा दी थी। लेकिन पीटीआई कार्यकर्ता बैरिकेड्स तोड़कर डी-चौक और अदियाला जेल की तरफ बढ़े।
- खैबर पख्तूनख्वा का मार्च: केपी (Khyber Pakhtunkhwa) के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के नेतृत्व में हजारों गाड़ियों का काफिला इस्लामाबाद पहुँचा। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़पें हुईं, जिसमें आंसू गैस के गोले दागे गए।
4. सेना की रणनीति: 'तन्हाई' से तोड़ने की कोशिश?
विश्लेषकों का
मानना है कि
इमरान खान को
'सॉलिटरी कन्फाइनमेंट' (एकांतवास) में रखना
सेना की एक
सोची-समझी रणनीति
है।
- जब शारीरिक टॉर्चर काम नहीं आया, तो अब उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इंसान को अकेले रखकर उसे पागलपन की हद तक ले जाना एक पुरानी मिलिट्री टैक्टिक है।
- लेकिन उज्मा खानम के मुताबिक, इमरान के हौसले अभी भी बुलंद हैं और उन्होंने समर्थकों से हार न मानने की अपील की है।
5. अब आगे क्या? पाकिस्तान का संकट बरकरार
भले ही
आज "जिंदा होने का
सबूत" (Proof of Life) मिल गया हो,
लेकिन पाकिस्तान का
सियासी पारा अभी
ठंडा नहीं होगा।
- PTI की मांग: अब मांग यह है कि इमरान को वकीलों और परिवार से नियमित मिलने दिया जाए और उन्हें जेल से रिहा किया जाए।
- सरकार की मुसीबत: शहबाज सरकार और सेना के लिए इमरान खान गले की हड्डी बन गए हैं न उसे निगल पा रहे है (विरोध के कारण) और ना ही उसे उगल पा रहे हैं (तख्तापलट के डर से)।
निष्कर्ष
आज के घटनाक्रम ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान में "इमरान खान फैक्टर" को नजरअंदाज करना नामुमकिन है। सरकार ने बहन को मिलवाकर फिलहाल तो आग बुझा दी है, लेकिन चिंगारी अभी भी सुलग रही है। अगर इमरान खान को इसी तरह 'मेंटल टॉर्चर' दिया गया, तो पाकिस्तान की सड़कों पर जो होगा, वह शायद 1971 से भी ज्यादा भयानक हो सकता है।
डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।

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