Aftermath of terror attack at Bondi Beach Sydney during Hanukkah celebration 15 dead ISIS link confirmed.
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सिडनी ऑस्ट्रेलिया  सिडनी शहर, जो अपनी शांति और सौहार्द के लिए जाना जाता है, मंगलवार को इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक का गवाह बना। दुनिया के सबसे प्रसिद्ध समुद्र तटों में से एक, 'बोंडी बीच' (Bondi Beach) पर चल रहे यहूदी समुदाय के पवित्र 'हनुक्का' (Hanukkah) उत्सव के दौरान एक भीषण आतंकी हमला हुआ है। इस नृशंस हमले में 15 निर्दोष लोगों की जान चली गई है, जिनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। ऑस्ट्रेलियाई जांच एजेंसियों ने पुष्टि कर दी है कि यह कोई साधारण गोलीबारी नहीं थी, बल्कि यह एक सुनियोजित 'यहूदी विरोधी' (Anti-Semitic) आतंकी हमला था, जिसके तार खूंखार आतंकी संगठन ISIS से जुड़े हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे "सभ्यता पर हमला" करार दिया है और यहूदी समुदाय के साथ पूरी एकजुटता दिखाई है।

आइए, इस दिल दहला देने वाली घटना, इसके पीछे की साजिश और वैश्विक प्रतिक्रिया को विस्तार से समझते हैं।

1. बोंडी बीच पर जश्न मातम में बदला: खौफनाक मंजर दिसंबर का महीना ऑस्ट्रेलिया में गर्मियों का होता है और यहूदी समुदाय के लिए यह 'हनुक्का' यानी रोशनी के त्योहार का समय था। बोंडी बीच के पास एक पार्क में सैकड़ों लोग जमा थे और 'मेनोरा' (मोमबत्ती स्टैंड) जलाने की रस्म चल रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, तभी एक हथियारबंद हमलावर वहां पहुंचा और उसने 'धार्मिक नारे' लगाते हुए भीड़ पर ऑटोमैटिक हथियार से फायरिंग शुरू कर दी। लोग जब तक कुछ समझ पाते, वहां लाशों का ढेर लग गया। हमलावर ने विशेष रूप से उन लोगों को निशाना बनाया जो उत्सव मना रहे थे। करीब 10 मिनट तक चली इस खूनी होली के बाद पुलिस ने हमलावर को मार गिराया, लेकिन तब तक 15 बेगुनाह लोग अपनी जान गंवा चुके थे और दर्जनों घायल तड़प रहे थे।

2. मकसद साफ था: यहूदी समुदाय को निशाना बनाना शुरुआती जांच और मौके से मिले सबूतों के आधार पर न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने पुष्टि की है कि हमलावर का एकमात्र उद्देश्य यहूदी समुदाय को नुकसान पहुंचाना था। इसे एक 'हेट क्राइम' (घृणा अपराध) और आतंकी हमला माना गया है। जांच में पता चला है कि हमलावर ऑनलाइन कट्टरपंथ (Radicalization) का शिकार था और वह ISIS की विचारधारा से बुरी तरह प्रभावित था। उसने हमले से पहले सोशल मीडिया पर कुछ आपत्तिजनक पोस्ट भी किए थे, जिसमें उसने यहूदी विरोधी बातें लिखी थीं। यह हमला इस बात का सबूत है कि ISIS जैसे आतंकी संगठन भले ही जमीन पर कमजोर हुए हों, लेकिन उनकी जहरीली विचारधारा अभी भी 'लोन वुल्फ' (अकेले हमलावर) के जरिए दुनिया के लिए खतरा बनी हुई है।

3. डोनाल्ड ट्रंप का बयान: "हम इस बुराई को जड़ से मिटा देंगे" इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घटना के तुरंत बाद व्हाइट हाउस से एक विशेष बयान जारी किया। पिछली बार की तरह इमिग्रेशन पर बात करने के बजाय, इस बार ट्रंप का पूरा फोकस 'एंटी-सेमिटिज्म' (यहूदी विरोध) पर था। ट्रंप ने कहा, "सिडनी में हमारे यहूदी भाइयों और बहनों पर हुआ हमला कायरतापूर्ण है। यह ISIS और कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद का असली चेहरा है जो किसी धर्म या इंसानियत का सगा नहीं है।" ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अमेरिका इस दुख की घड़ी में ऑस्ट्रेलिया और इजरायल के साथ खड़ा है। उन्होंने प्रण लिया कि वे इस "बुराई की विचारधारा" का दुनिया से अंत करके ही दम लेंगे।

4. 15 जानें गईं: परिवारों का दर्द और आक्रोश मरने वालों में कई ऐसे परिवार शामिल हैं जो सिर्फ त्योहार मनाने आए थे। स्थानीय समुदाय में गहरा शोक और गुस्सा है। सिडनी के यहूदी संगठनों ने इसे ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में यहूदियों पर हुआ सबसे बड़ा हमला बताया है। उनका कहना है कि पिछले कुछ समय से दुनिया भर में यहूदी विरोधी घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि सिडनी जैसे सुरक्षित शहर में ऐसा कुछ होगा। अस्पतालों में घायलों की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिससे मरने वालों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है। पीड़ितों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और वे सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर खुफिया एजेंसियां इस साजिश को भांपने में नाकाम क्यों रहीं?

5. ISIS लिंक की पुष्टि: डिजिटल आतंकवाद का खतरा ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसी ASIO (Australian Security Intelligence Organisation) ने खुलासा किया है कि हमलावर के पास से कुछ डिजिटल दस्तावेज मिले हैं जो सीधे तौर पर ISIS के प्रोपेगेंडा से जुड़े हैं। यह 'लीडरलेस जिहाद' (बिना नेता का जिहाद) का एक क्लासिक उदाहरण है, जहां किसी आतंकी को सीरिया या इराक जाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि इंटरनेट के जरिए उसका ब्रेनवॉश करके उसे हथियार उठाने के लिए उकसाया जाता है। इस खुलासे ने पश्चिमी देशों की सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि ऐसे 'स्लीपर सेल्स' या 'लोन वुल्फ' हमलावरों को ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है।

6. वैश्विक निंदा और एकजुटता इस हमले की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। इजरायल के प्रधानमंत्री ने इसे "नृशंस हत्या" बताते हुए ऑस्ट्रेलिया को हर संभव मदद की पेशकश की है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राष्ट्राध्यक्षों ने भी घटना की निंदा की है और इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी बयान जारी कर कहा है कि धार्मिक उत्सवों पर हमले करना सबसे घृणित कार्य है। दुनिया भर के शहरों में सिडनी के पीड़ितों की याद में कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं। 'प्रे फॉर सिडनी' (Pray For Sydney) और 'स्टॉप एंटी-सेमिटिज्म' जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं।

7. सुरक्षा पर सवाल और आगे की राह ऑस्ट्रेलिया को दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में गिना जाता है, लेकिन इस हमले ने वहां की सुरक्षा व्यवस्था (Security Apparatus) में बड़ी खामियां उजागर कर दी हैं। सवाल उठ रहे हैं कि जब एक सार्वजनिक स्थान पर इतना बड़ा धार्मिक आयोजन हो रहा था, तो वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं थे? क्या खुफिया एजेंसियों ने ऑनलाइन मिल रहे संकेतों को नजरअंदाज किया? ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ऑस्ट्रेलिया अपने आतंकवाद विरोधी कानूनों को और सख्त करेगा और ऑनलाइन कट्टरपंथ को रोकने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों पर भी शिकंजा कसेगा।

निष्कर्ष सिडनी के बोंडी बीच पर हुआ यह हमला सिर्फ ऑस्ट्रेलिया पर हमला नहीं है, बल्कि यह उस भरोसे पर हमला है कि हम एक सभ्य समाज में रहते हैं। 15 निर्दोष लोगों की मौत यह याद दिलाती है कि आतंकवाद और घृणा की आग अभी बुझी नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप का बयान और वैश्विक प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि दुनिया को अब आतंकवाद के खिलाफ सिलेक्टिव होने के बजाय एकजुट होकर लड़ना होगा। यहूदी समुदाय का यह दर्द पूरी दुनिया का दर्द है, और न्याय की मांग अब सिर्फ सिडनी तक सीमित नहीं रहेगी।

 

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डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।