Opinion analysis on Usman Hadi murder in Bangladesh and potential geopolitical conspiracy involving Pakistan.
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कराची/ढाका बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक बार फिर मातम और गुस्से का माहौल है। छात्र नेता शरीफ
उस्मान हादी की निर्मम हत्या ने सिर्फ एक युवा जीवन को समाप्त किया है, बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। एक पत्रकार और विश्लेषक के तौर पर, जब हम इस घटना को देखते हैं, तो यह सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं लगता। जिस तरह से हत्या के तुरंत बाद घटनाक्रम बदला और जिस तरह से बिना किसी जांच के उंगलियां भारत की तरफ उठाई गईं, वह किसी गहरी साजिश का इशारा करता है। हालांकि, यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि अभी तक इस हत्या के पीछे कौन है, इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण या पुलिसिया खुलासा सामने नहीं आया है। हम यहाँ किसी पर दोष सिद्ध नहीं कर रहे, लेकिन भू-राजनीति (Geopolitics) का एक पुराना सिद्धांत है 'क्यूई बोनो' (Cui Bono), जिसका अर्थ है'लाभ किसे हुआ?' जब हम उस्मान हादी की दुखद मृत्यु को इस सिद्धांत की कसौटी पर कसते हैं, तो नजरें अनायास ही सीमा पार रावलपिंडी की ओर मुड़ जाती हैं, जहाँ पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया कमान बैठती है। यह विश्लेषण इसी 'संभावना' और 'आशंका' की पड़ताल करता है।

इस हत्या के बाद सबसे हैरान करने वाली बात वह 'नैरेटिव' या कहानी थी जो बिजली की रफ्तार से बांग्लादेश में फैलाई गई। गोली चलने की देर थी कि सोशल मीडिया और सड़कों पर यह शोर मच गया कि हत्यारे भारत से जुड़े थे या भारत भाग गए। इतनी जल्दी निष्कर्ष पर पहुँचना किसी सामान्य भीड़ या गुट का काम नहीं हो सकता। यह एक सुनियोजित 'इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर' (Information Warfare) जैसा प्रतीत होता है। सवाल यह उठता है कि इस भारत-विरोधी भावना को भड़काने से सबसे बड़ा रणनीतिक फायदा किसे हो रहा है? जाहिर है, इसका जवाब पाकिस्तान है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) पर ऐतिहासिक रूप से यह आरोप लगते रहे हैं कि वह भारत के पड़ोसी देशों में भारत-विरोधी भावनाओं को हवा देती है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से पाकिस्तान बांग्लादेश में अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में, एक लोकप्रिय नेता की हत्या को भारत के मत्थे मढ़ देना उनके लिए एक 'मास्टरस्ट्रोक' साबित हो सकता है। यह महज संयोग भी हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इतने सटीक संयोग कम ही होते हैं।

जनरल असीम मुनीर और पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेंट इस वक्त अपने ही घर में भारी दबाव का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान के भीतर 'अज्ञात हमलावरों' द्वारा भारत के दुश्मनों का सफाया किया जा रहा है, जिससे उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों का एक वर्ग यह मानता है कि जब कोई देश सीधे तौर पर अपने प्रतिद्वंद्वी का मुकाबला नहीं कर पाता, तो वह 'असममित युद्ध' (Asymmetric Warfare) का सहारा लेता है। क्या यह संभव है कि बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करना इसी रणनीति का हिस्सा हो? यह एक प्रतिशोध (Retaliation) की कार्रवाई हो सकती है, जिसका उद्देश्य भारत को उसके पूर्वी मोर्चे पर उलझाना है। अगर बांग्लादेश में भारत के खिलाफ हिंसा भड़कती है, तो इसका सीधा असर भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' पॉलिसी और सुरक्षा पर पड़ेगा। यह अस्थिरता पाकिस्तान को एक रणनीतिक बढ़त दिला सकती है, जिसकी उसे इस वक्त सख्त जरूरत है।

इसके अलावा, ढाका में पाकिस्तानी उच्चायोग की भूमिका और उनकी त्वरित प्रतिक्रिया भी कई सवाल खड़े करती है। एक विदेशी छात्र नेता की मौत पर कूटनीतिक सीमाओं से परे जाकर सहानुभूति जताना और परोक्ष रूप से भारत विरोधी स्वरों का समर्थन करना, उनकी मंशा पर संदेह पैदा करता है। बांग्लादेश में जमात--इस्लामी और अन्य कट्टरपंथी समूह, जो वैचारिक रूप से पाकिस्तान के करीब हैं, इस हत्या का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए कर रहे हैं। उस्मान हादी की लाश पर राजनीति करके ये तत्व बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को भारत से दूर ले जाने का दबाव बना रहे हैं। क्या यह सब अपने आप हो रहा है, या इसके पीछे कोई अदृश्य हाथ (Invisible Hand) है जो परदे के पीछे काम कर रहा है? सबूतों के अभाव में हम केवल कयास लगा सकते हैं, लेकिन घटनाओं की टाइमिंग को नजरअंदाज करना भी बुद्धिमानी नहीं होगी।

हमें इस संभावना से भी इनकार नहीं करना चाहिए कि यह बांग्लादेश की आंतरिक सत्ता संघर्ष का नतीजा हो सकता है। वहां अभी कानून-व्यवस्था की स्थिति नाजुक है। हो सकता है कि किसी स्थानीय विरोधी गुट ने हादी को रास्ते से हटाया हो। लेकिन, हत्या के बाद जिस तरह से 'भारत' को विलेन बनाया गया, वह संदेह पैदा करता है कि भले ही गोली किसी स्थानीय ने चलाई हो, लेकिन 'स्क्रिप्ट' कहीं और लिखी गई थी। पाकिस्तान की 'डीप स्टेट' (Deep State) हमेशा से इस ताक में रहती है कि कैसे भारत के पड़ोस में आग लगाई जाए। उस्मान हादी की हत्या ने उन्हें वह चिंगारी दे दी है। यह एक क्लासिक 'फाल्स फ्लैग' (False Flag) ऑपरेशन की तरह दिखता है, जहाँ हमला कोई और करता है और नाम किसी और का लगता है।

अंत में, यह समझना जरूरी है कि भू-राजनीति भावनाओं पर नहीं, बल्कि हितों (Interests) पर चलती है। उस्मान हादी की मौत से भारत को सिर्फ नुकसान हुआ है कूटनीतिक भी और छवि का भी। वहीं, पाकिस्तान और कट्टरपंथी ताकतों को इससे संजीवनी मिली है। इसलिए, जब तक निष्पक्ष जांच नहीं होती, तब तक जनरल मुनीर या आईएसआई की संलिप्तता को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता। यह कोई खबर नहीं, बल्कि एक गंभीर चिंता है। बांग्लादेश की जनता को यह सोचना होगा कि कहीं उनके गुस्से का इस्तेमाल कोई तीसरा देश अपने फायदे के लिए तो नहीं कर रहा? यह हत्या एक चेतावनी है कि दक्षिण एशिया में शांति कितनी नाजुक है और कैसे एक घटना का इस्तेमाल दो दोस्तों (भारत और बांग्लादेश) को दुश्मन बनाने के लिए किया जा सकता है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer): यह लेख लेखक के निजी विचारों और भू-राजनीतिक विश्लेषण पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्ति, संस्था या देश पर बिना प्रमाण के आरोप लगाना नहीं, बल्कि घटनाक्रम के संभावित रणनीतिक पहलुओं का विश्लेषण करना है। हम किसी भी तरह की हिंसा की निंदा करते हैं।

 

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डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।