ढाका पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश एक
बार फिर हिंसा
और अराजकता की
आग में जल
रहा है। कुछ
महीनों की शांति
के बाद, कल
(18 दिसंबर
2025) से
ही ढाका, चटगांव
और राजशाही समेत
कई बड़े शहरों
में हालात बेकाबू
हो गए हैं।
इस नई हिंसा
की वजह 'जुलाई
विद्रोह' (July
Uprising) के
प्रमुख छात्र नेता
और इंकलाब मंच
के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी (Sharif Osman Hadi)
की मौत है।
हादी को पिछले
हफ्ते ढाका में
गोली मारी गई
थी, जिसके बाद
उन्हें इलाज के
लिए सिंगापुर ले
जाया गया था,
जहां कल रात
उन्होंने दम तोड़ दिया।
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हादी की
मौत की खबर
मिलते ही उनके
समर्थक सड़कों पर
उतर आए। उन्होंने न
सिर्फ सरकारी संपत्तियों को
निशाना बनाया, बल्कि
मीडिया हाउस और
भारतीय राजनयिक मिशन
(Indian Diplomatic Mission) को भी
घेरने की कोशिश
की। मोहम्मद यूनुस
की अंतरिम सरकार
ने हालात को
देखते हुए शनिवार
को 'राजकीय शोक'
(State Mourning) का
ऐलान किया है,
लेकिन जमीन पर
तनाव कम होने
का नाम नहीं
ले रहा है।
आइए, विस्तार से
जानते हैं कि
आखिर बांग्लादेश में
इस वक्त क्या
चल रहा है
और इसका भारत
पर क्या असर
पड़ेगा।
1.
कौन थे शरीफ उस्मान हादी और कैसे हुई मौत? शरीफ उस्मान
हादी बांग्लादेश की
राजनीति में एक उभरता
हुआ चेहरा थे।
2024 में
शेख हसीना सरकार
को गिराने वाले
'जुलाई विद्रोह' (July Uprising) में उनकी
अहम भूमिका थी।
वे 'इंकलाब मंच'
के प्रवक्ता थे
और 12 फरवरी 2026 को
होने वाले आम
चुनावों में ढाका-8 सीट
से निर्दलीय उम्मीदवार के
तौर पर खड़े
होने वाले थे।
बीते 12 दिसंबर को
जब वे ढाका
के बिजयनगर इलाके
में चुनाव प्रचार
कर रहे थे,
तभी तीन नकाबपोश हमलावरों ने
उनके सिर में
गोली मार दी
थी। उन्हें गंभीर
हालत में एयर
एंबुलेंस से सिंगापुर ले
जाया गया, लेकिन
6 दिन तक मौत
से लड़ने के
बाद 18 दिसंबर की
रात उनकी मौत
हो गई। उनके
समर्थकों का आरोप है
कि यह एक
'राजनीतिक हत्या' है और
इसके पीछे पुरानी
सरकार (आवामी लीग)
के बचे-कुचे
लोगों का हाथ
है।
2.
मीडिया पर हमला: दो बड़े अखबारों के दफ्तर जलाए हिंसा
का सबसे भयानक
रूप ढाका के
कारवां बाजार (Karwan Bazar) इलाके में
देखने को मिला।
प्रदर्शनकारियों
ने बांग्लादेश के
दो सबसे बड़े
और प्रतिष्ठित अखबारों 'प्रोथोम आलो' (Prothom Alo)
और 'द डेली स्टार' (The
Daily Star) के मुख्य
दफ्तरों पर हमला बोल
दिया। भीड़ ने
पहले तोड़फोड़ की
और फिर इमारतों में
आग लगा दी।
कई पत्रकार घंटों
तक अंदर फंसे
रहे, जिन्हें बाद
में फायर ब्रिगेड ने
निकाला। प्रदर्शनकारियों
का आरोप है
कि ये अखबार
उनके आंदोलन को
सही तरीके से
कवर नहीं कर
रहे थे। लोकतंत्र के
चौथे स्तंभ पर
हुए इस हमले
की पूरी दुनिया
में निंदा हो
रही है।
3.
चटगांव में भारतीय दूतावास पर पथराव भारत
के लिए सबसे
चिंताजनक खबर चटगांव (Chattogram) से आई
है। कल देर
रात प्रदर्शनकारियों की
एक उग्र भीड़
ने वहां मौजूद
भारतीय सहायक उच्चायोग (Indian Assistant High Commission) को
घेर लिया। भीड़
ने भारत विरोधी
नारे लगाए और
दूतावास की इमारत पर
ईंट-पत्थर फेंके।
हालांकि, बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने आंसू
गैस के गोले
छोड़कर भीड़ को
तितर-बितर कर
दिया, लेकिन यह
घटना बताती है
कि वहां भारत
विरोधी भावनाएं किस
कदर हावी हैं।
ढाका में मौजूद
भारतीय उच्चायोग ने
वहां रह रहे
भारतीय नागरिकों और
छात्रों के लिए 'इमरजेंसी एडवाइजरी' जारी
की है और
उन्हें घरों से
बाहर न निकलने
की सलाह दी
है।
4.
यूनुस सरकार का एक्शन: राजकीय शोक और 'शूट एट साइट'? अंतरिम सरकार
के प्रमुख (Chief Adviser) मोहम्मद यूनुस
ने हादी की
मौत को "देश के
लिए अपूरणीय क्षति"
बताया है। उन्होंने शांति
की अपील करते
हुए शनिवार को
एक दिन के
राजकीय शोक की
घोषणा की है।
इस दौरान देश
भर में राष्ट्रध्वज आधा
झुका रहेगा। हालांकि, पर्दे
के पीछे सरकार
सख्त कदम उठा
रही है। सूत्रों के
मुताबिक, गृह मंत्रालय ने
पुलिस को उपद्रवियों को
देखते ही गिरफ्तार करने
और जरूरत पड़ने
पर बल प्रयोग
करने की छूट
दे दी है।
ढाका यूनिवर्सिटी और
शाहबाग इलाके में
भारी पुलिस बल
और सेना (Army) को तैनात
कर दिया गया
है। इंटरनेट सेवाओं
को भी कुछ
इलाकों में सीमित
कर दिया गया
है ताकि अफवाहें न
फैलें।
5.
भारत बॉर्डर पर BSF का 'हाई अलर्ट' पड़ोसी देश
में सुलगती आग
को देखते हुए
भारत सरकार ने
भी अपनी सुरक्षा बढ़ा
दी है। पश्चिम
बंगाल, असम, मेघालय
और त्रिपुरा से
लगने वाली भारत-बांग्लादेश सीमा (Indo-Bangla Border) पर सीमा सुरक्षा बल
(BSF) को
'हाई अलर्ट' पर रखा
गया है। खुफिया
एजेंसियों को डर है
कि हिंसा की
आड़ में घुसपैठिये या
उपद्रवी तत्व भारत में
दाखिल होने की
कोशिश कर सकते
हैं। BSF के जवानों
को स्पष्ट निर्देश हैं
कि सीमा पर
किसी भी संदिग्ध गतिविधि को
बर्दाश्त न किया जाए।
इसके अलावा, लैंड
पोर्ट्स (Land
Ports) पर
भी निगरानी बढ़ा
दी गई है
और बांग्लादेश जाने
वाले ट्रकों की
चेकिंग सख्त कर
दी गई है।
6.
हिंदू अल्पसंख्यकों में दहशत का माहौल जब
भी बांग्लादेश में
राजनीतिक अस्थिरता या हिंसा होती
है, तो उसका
सबसे पहला शिकार
वहां का अल्पसंख्यक हिंदू
समुदाय बनता है।
हादी की मौत
के बाद उग्र
भीड़ ने चटगांव
और राजशाही में
कुछ मंदिरों और
हिंदू घरों के
पास नारेबाजी की
है। हालांकि, अभी
तक किसी बड़े
हमले की खबर
नहीं है, लेकिन
डर का माहौल
बना हुआ है।
इस्कॉन (ISKCON) और अन्य हिंदू
संगठनों ने सरकार से
सुरक्षा की गुहार लगाई
है। भारत सरकार
ने भी बांग्लादेशी प्रशासन से
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने
को कहा है।
7.
आगे क्या होगा? चुनाव पर संकट के बादल बांग्लादेश में
फरवरी 2026 में आम
चुनाव प्रस्तावित हैं।
शरीफ उस्मान हादी
खुद एक उम्मीदवार थे।
उनकी हत्या ने
यह सवाल खड़ा
कर दिया है
कि क्या मौजूदा
हालात में निष्पक्ष चुनाव
हो पाएंगे? राजनीतिक विश्लेषकों का
मानना है कि
अगर हिंसा नहीं
रुकी, तो सेना
एक बार फिर
कमान अपने हाथ
में ले सकती
है या चुनावों को
अनिश्चितकाल के लिए टाला
जा सकता है।
यह अस्थिरता न
सिर्फ बांग्लादेश, बल्कि
पूरे दक्षिण एशिया
की शांति के
लिए खतरा है।
निष्कर्ष 19 दिसंबर
का दिन बांग्लादेश के
इतिहास में एक
और काले अध्याय
के रूप में
जुड़ गया है।
एक युवा नेता
की मौत ने
पूरे देश को
हिंसा की भट्ठी
में झोंक दिया
है। मीडिया पर
हमले और राजनयिक मिशनों
को निशाना बनाना
यह दर्शाता है
कि वहां कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा
गई है। भारत
को अगले कुछ
दिनों तक "वेट एंड
वॉच" (Wait and Watch) की नीति अपनानी
होगी, साथ ही
अपनी सीमाओं को
सुरक्षित रखना होगा।
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Join WhatsApp Channelडिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।
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