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कल एक
ऐतिहासिक और चौंकाने वाले
घटनाक्रम में, कांग्रेस, DMK और
समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी गठबंधन
(INDIA) के
107 सांसदों ने
लोकसभा स्पीकर ओम
बिरला को एक
नोटिस सौंपा। इसमें
मांग की गई
है कि जस्टिस
स्वामीनाथन को उनके पद
से हटाने के
लिए महाभियोग (Impeachment)
चलाया जाए।
1.
आखिर जज साहब ने ऐसा क्या कर दिया?
यह पूरा
विवाद तमिलनाडु के
मदुरै में स्थित
तिरुपरमकुंद्रम (Thiruparankundram)
पहाड़ी से जुड़ा
है।
- यहां सदियों पुरानी परंपरा है कि कार्तिगई दीपम (Karthigai Deepam)
के अवसर पर पहाड़ी की चोटी पर एक 'विशाल दीप' जलाया जाता है।
- समस्या यह है कि जहां दीप जलना था (दीपथून), उसके पास ही एक दरगाह (सिकंदर बादुशा दरगाह) भी है।
- तमिलनाडु की DMK सरकार और पुलिस ने कानून-व्यवस्था का हवाला देकर हिंदुओं को वहां दीप जलाने से रोक दिया था।
मामला जब
कोर्ट पहुंचा, तो
जस्टिस स्वामीनाथन ने
फैसला सुनाया कि
"परंपरा को रोका नहीं जा सकता" और भक्तों को
दीप जलाने की
अनुमति दी। जब
राज्य पुलिस ने
आनाकानी की, तो जज
ने CISF (केंद्रीय
सुरक्षा बल) की सुरक्षा में
दीप जलाने का
आदेश दे दिया।
बस यही बात
'सेक्यूलर गैंग' को चुभ
गई।
2.
107 सांसदों का 'शक्ति प्रदर्शन' या 'डराने की कोशिश'?
विपक्ष के
107 सांसदों (जिसमें
प्रियंका गांधी, कनिमोझी, असदुद्दीन ओवैसी
जैसे नाम शामिल
हैं) ने अपने
नोटिस में जज
पर गंभीर आरोप
लगाए हैं:
- उनका कहना है कि जस्टिस स्वामीनाथन "संविधान के सेक्यूलर ढांचे" के खिलाफ काम कर रहे हैं।
- आरोप है कि वे एक "विशेष राजनीतिक विचारधारा" (इशारा हिंदुत्व की तरफ) से प्रभावित होकर फैसले दे रहे हैं।
- विपक्ष का तर्क है कि उनका आचरण "निष्पक्ष" नहीं है।
कानूनी जानकारों का
मानना है कि
महाभियोग लाना इतना आसान
नहीं है, लेकिन
यह कदम न्यायपालिका पर
"दबाव बनाने" (Pressure Tactic)
की कोशिश ज्यादा
लगता है। संदेश
साफ है "अगर हमारी
विचारधारा के खिलाफ फैसला
दोगे, तो हम
संसद में घेरेंगे।"
3.
कौन हैं जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन?
जस्टिस स्वामीनाथन कोई
आम जज नहीं
हैं। वे अपनी
बेबाक टिप्पणियों और
फैसलों के लिए
जाने जाते हैं:
- वे खुल कर कहते हैं कि "धर्म (Dharma)"
की रक्षा करना जरूरी है।
- हाल ही में उन्होंने एक फैसले में कहा था, "अगर आप वेदों की रक्षा करेंगे, तो वेद आपकी रक्षा करेंगे।"
- उन्होंने कई बार तमिलनाडु सरकार की आलोचना की है और यू-ट्यूबर्स/पत्रकारों की अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की है।
- यही कारण है कि वे राष्ट्रवादी जनता के बीच 'हीरो' हैं, लेकिन वामपंथी विचारधारा (Left Ecosystem) की आंखों में खटकते हैं।
4.
'दीप' से डर गया विपक्ष?
सोशल मीडिया
पर लोग पूछ
रहे हैं कि
एक 'दीपक' जलाने
के आदेश से
विपक्ष इतना क्यों
डर गया?
- क्या एक मंदिर में दीप जलाना "सांप्रदायिक" हो गया है?
- क्या दरगाह के पास हिंदू अनुष्ठान करने से "सेक्यूलरिज्म" खतरे में आ
जाता है?
भाजपा और
हिंदू संगठनों ने
विपक्ष के इस
कदम को "हिंदू विरोधी मानसिकता" का सबूत बताया
है। उनका कहना
है कि यह
सिर्फ एक जज
पर हमला नहीं,
बल्कि हिंदू आस्था
पर हमला है।
5.
अब आगे क्या होगा?
महाभियोग की
प्रक्रिया बहुत जटिल होती
है:
- पहले स्पीकर (ओम बिरला) इस नोटिस की जांच करेंगे। वे इसे स्वीकार कर भी सकते हैं और खारिज भी।
- अगर स्वीकार हुआ, तो 3 जजों की एक कमेटी जांच करेगी।
- अंत में संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत (2/3rd Majority)
से पास होना जरूरी है।
चूंकि संसद
में भाजपा (NDA) का बहुमत
है, इसलिए जस्टिस
स्वामीनाथन को हटाना विपक्ष
के लिए नामुमकिन है।
लेकिन इस नोटिस
के जरिए विपक्ष
ने यह साफ
कर दिया है
कि वे 2026 के
तमिलनाडु चुनाव से पहले
इसे एक बड़ा
मुद्दा बनाना चाहते
हैं।
निष्कर्ष: न्यायपालिका की आजादी पर हमला?
'राजनेतिक रिपोर्ट' का मानना है
कि किसी जज
के फैसले से
असहमत होने पर
आप ऊपरी अदालत
(Supreme Court) जा
सकते हैं। लेकिन
सिर्फ इसलिए महाभियोग लाना
क्योंकि जज ने हिंदुओं के
पक्ष में फैसला
दिया, यह एक
खतरनाक परंपरा की
शुरुआत है।
आज सवाल
यह है क्या
भारत में 'सेक्यूलरिज्म' का
मतलब सिर्फ बहुसंख्यकों की
भावनाओं को दबाना रह
गया है? जस्टिस
स्वामीनाथन का कसूर सिर्फ
इतना था कि
उन्होंने 'अंधेरे' के खिलाफ
'दीपक' जलाने का
आदेश दिया।
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Join WhatsApp Channelडिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।

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