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आइए, इस
चार्जशीट के अहम
बिंदुओं और साजिद
जट्ट की काली
करतूतों को विस्तार
से समझते हैं।
1. पहलगाम हमले की खौफनाक
साजिश इसी साल
अप्रैल 2025 में, कश्मीर
के सबसे खूबसूरत
पर्यटन स्थलों में से
एक, पहलगाम की
बैसरन वैली में
आतंकियों ने एक
कायराना हमला किया
था। इस हमले
का मकसद न
केवल सुरक्षा बलों
को नुकसान पहुंचाना
था, बल्कि घाटी
में डर का
माहौल पैदा करके
पर्यटन को ठप
करना भी था।
NIA की जांच में
यह बात सामने
आई है कि
यह हमला कोई
अचानक हुई घटना
नहीं थी, बल्कि
इसकी योजना पाकिस्तान
में बैठे लश्कर
के आकाओं ने
बहुत बारीकी से
तैयार की थी।
चार्जशीट के मुताबिक,
इस हमले के
तार सीधे तौर
पर लश्कर-ए-तैयबा और उसके
मुखौटा संगठन 'द रेजिस्टेंस
फ्रंट' (TRF) से जुड़े
हुए हैं।
2. कौन है मास्टरमाइंड
साजिद जट्ट? NIA की चार्जशीट
में जिस नाम
ने सबसे ज्यादा
आकर्षित किया है, वह है
साजिद जट्ट। साजिद
जट्ट लश्कर-ए-तैयबा का एक
शीर्ष कमांडर है,
जिसे सैफुल्ला, नुमी
और लंगड़ा जैसे
कई उपनामों से
भी जाना जाता
है। भारतीय गृह
मंत्रालय ने अक्टूबर
2022 में उसे गैरकानूनी
गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के
तहत 'व्यक्तिगत आतंकवादी'
घोषित किया था।
जांच एजेंसियों के
अनुसार, साजिद जट्ट फिलहाल
पाकिस्तान की राजधानी
इस्लामाबाद में लश्कर
के मुख्यालय से
अपनी गतिविधियां चला
रहा है। वह
TRF का ऑपरेशनल चीफ भी
है और कश्मीर
घाटी में नए
युवाओं की भर्ती,
टेरर फंडिंग और
हथियारों की घुसपैठ
कराने की जिम्मेदारी
संभालता है।
3. पाकिस्तान से चल रहा
था 'रिमोट कंट्रोल' NIA की जांच
में पता चला
है कि पहलगाम
हमले के दौरान
साजिद जट्ट लगातार
हमलावरों के संपर्क
में था। वह
एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स और
अन्य सुरक्षित संचार
माध्यमों के जरिए
उन्हें निर्देश दे रहा
था। उसका काम
सिर्फ हमला कराना
नहीं था, बल्कि
हमलावरों को छिपने
की जगह (Hideouts) मुहैया
कराना और उन्हें
हथियार सप्लाई करना भी
था। चार्जशीट में
यह भी बताया
गया है कि
कैसे साजिद जट्ट
ने स्थानीय युवाओं
को बरगला कर
उन्हें इस साजिश
का हिस्सा बनाया।
उसका मुख्य उद्देश्य
भारत के खिलाफ
'छद्म युद्ध' (Proxy War) को
जारी रखना है।
4. तीन पाकिस्तानी आतंकी
और दो स्थानीय मददगार
इस चार्जशीट में
साजिद जट्ट के
अलावा पांच अन्य
लोगों के नाम
भी शामिल हैं।
इनमें से तीन
पाकिस्तानी आतंकवादी थे—सुलेमान
शाह, हबीब ताहिर
उर्फ जिब्रान और
हमजा अफगानी। ये
तीनों आतंकी इसी
साल जुलाई महीने
में सुरक्षा बलों
के साथ हुई
एक मुठभेड़ में
मारे गए थे।
NIA ने चार्जशीट में इन
तीनों को भी
आरोपी बनाया है।
इसके अलावा, दो
स्थानीय नागरिक परवेज अहमद
और बशीर अहमद का भी
नाम चार्जशीट में
है। इन दोनों
को 22 जून को
गिरफ्तार किया गया
था। इन पर
आरोप है कि
इन्होंने पाकिस्तानी आतंकियों को
अपने घर में
पनाह दी और
उन्हें रसद व
अन्य मदद पहुंचाई।
5. साजिद जट्ट का पुराना
'क्राइम रिकॉर्ड' यह पहली
बार नहीं है
जब किसी बड़े
आतंकी हमले में
साजिद जट्ट का
नाम सामने आया
है। उसका इतिहास
खून से रंगा
हुआ है। 2023 में
राजौरी के धंगरी
में हुए नरसंहार
का वह मुख्य
साजिशकर्ता था, जिसमें
कई निर्दोष नागरिक
मारे गए थे।
इसके अलावा, मई
2024 में पुंछ में
भारतीय वायुसेना (IAF) के काफिले
पर हुए हमले
और जून 2024 में
रियासी में तीर्थयात्रियों
की बस पर
हुए हमले के
पीछे भी उसी
का दिमाग था।
यह दर्शाता है
कि साजिद जट्ट
भारतीय सुरक्षा बलों और
आम नागरिकों के
लिए कितना बड़ा
खतरा बन चुका
है।
6. किन धाराओं में
दाखिल हुई चार्जशीट? NIA ने
आरोपियों के खिलाफ
बेहद सख्त धाराओं
में मामला दर्ज
किया है। चार्जशीट
में भारतीय न्याय
संहिता (BNS), 2023 की विभिन्न
धाराओं के साथ-साथ शस्त्र
अधिनियम (Arms Act), 1959 और गैरकानूनी
गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 की
गंभीर धाराएं लगाई
गई हैं। इन
धाराओं में 'भारत
सरकार के खिलाफ
युद्ध छेड़ना', 'आतंकी
गतिविधियों के लिए
धन मुहैया कराना'
और 'साजिश रचना'
जैसे आरोप शामिल
हैं। यह मजबूत
चार्जशीट सुनिश्चित करेगी कि
गिरफ्तार आरोपियों को कड़ी
से कड़ी सजा
मिले और पाकिस्तान
का असली चेहरा
दुनिया के सामने
आए।
7. घाटी में शांति
के लिए बड़ी कामयाबी
NIA द्वारा साजिद जट्ट जैसे
बड़े आतंकी को
नामजद करना और
चार्जशीट दाखिल करना भारत
की 'जीरो टॉलरेंस'
नीति का हिस्सा
है। इससे यह
संदेश साफ जाता
है कि आतंकी
चाहे सीमा पार
क्यों न बैठे
हों, भारतीय कानून
के हाथ उन
तक पहुंच ही
जाएंगे। पहलगाम जैसी जगह
पर हमला करके
आतंकी पर्यटन को
नुकसान पहुंचाना चाहते थे,
लेकिन सुरक्षा बलों
की मुस्तैदी और
NIA की तेज जांच
ने उनके मंसूबों
पर पानी फेर
दिया है। स्थानीय
मददगारों की गिरफ्तारी
से घाटी में
सक्रिय आतंकियों के 'ओवर
ग्राउंड वर्कर्स' (OGW) नेटवर्क को भी
बड़ा झटका लगा
है।
निष्कर्ष NIA की यह चार्जशीट सिर्फ कानूनी दस्तावेजों का पुलिंदा नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत इच्छाशक्ति का प्रमाण है। साजिद जट्ट जैसे कमांडरों का नाम सामने आने से यह साफ हो गया है कि कश्मीर में अशांति फैलाने की हर साजिश की डोर रावलपिंडी और इस्लामाबाद से जुड़ी है। आने वाले दिनों में भारतीय एजेंसियां साजिद जट्ट के खिलाफ इंटरपोल और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी घेराबंदी कर सकती हैं, ताकि उसे कानून के कटघरे में खड़ा किया जा सके।
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Join WhatsApp Channelडिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।

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