Symbolic news graphic of India and USA flags on telephone receivers representing PM Modi and Donald Trump diplomatic phone call about trade and visa
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नई दिल्ली/वाशिंगटन: वैश्विक राजनीति में जब दो सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता फोन पर बात करते हैं, तो पूरी दुनिया के कान खड़े हो जाते हैं। गुरुवार, 11 दिसंबर 2025 की शाम कुछ ऐसा ही हुआ, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) के बीच एक लंबी और महत्वपूर्ण टेलीफोनिक बातचीत हुई।

यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब पश्चिमी मीडिया और कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा यह कयास लगाए जा रहे थे कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में "खटास" रही है। चाहे वह H-1B वीजा का मुद्दा हो, रूस के साथ भारत की दोस्ती हो, या फिर ट्रम्प की "टैरिफ नीति" लेकिन पीएम मोदी ने एक बार फिर अपनी कूटनीतिक कुशलता का परिचय देते हुए ट्रम्प के साथ "बेहद गर्मजोशी और सकारात्मक" (Warm and Engaging) बातचीत करके सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है।

आइए समझते हैं कि इस हाई-प्रोफाइल कॉल के मायने क्या हैं और भारत के लिए इसमें क्या छिपा है।

1. मोदी-ट्रम्प संवाद: सिर्फ 'हैलो' नहीं, कूटनीतिक जीत

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर खुद इस बातचीत की जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि उनकी अपने मित्र राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ बहुत ही शानदार बातचीत हुई। कूटनीतिक भाषा में "Warm and Engaging" का मतलब होता है कि दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत केमिस्ट्री अब भी उतनी ही मजबूत है जितनी 2019 के 'हाउडी मोदी' इवेंट के समय थी।

इस बातचीत का सबसे बड़ा संदेश यह है कि भले ही अमेरिका की नीतियां बदल रही हों, लेकिन भारत के प्रति उसका नजरिया शत्रुतापूर्ण नहीं हो सकता। व्हाइट हाउस भी जानता है कि एशिया में चीन (China) को अगर कोई संतुलित कर सकता है, तो वह केवल भारत है। इसलिए, यह कॉल सिर्फ औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह दुनिया को बताने का तरीका था कि "नई दिल्ली और वाशिंगटन अब भी साथ हैं।"

2. H-1B वीजा संकट: क्या भारतीय प्रोफेशनल्स को मिलेगी राहत?

इस बातचीत का सबसे संवेदनशील पहलू H-1B वीजा है। हालिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि ट्रम्प प्रशासन H-1B वीजा की फीस में भारी बढ़ोतरी करने और सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच जैसे कड़े नियम लागू करने वाला है। इससे भारतीय आईटी सेक्टर और अमेरिका में काम करने वाले लाखों भारतीयों में घबराहट थी।

हालांकि, दोनों नेताओं की बातचीत के आधिकारिक बयान में इसका सीधा जिक्र नहीं है, लेकिन कूटनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पीएम मोदी ने भारत के कुशल कामगारों (Skilled Workers) के हितों की रक्षा का मुद्दा जरूर उठाया होगा। भारत और अमेरिका के बीच "तकनीकी साझेदारी" (iCET) का आधार ही भारतीय टैलेंट है। अगर ट्रम्प भारतीय टैलेंट पर रोक लगाएंगे, तो नुकसान सिलिकॉन वैली का ही होगा। माना जा रहा है कि इस कॉल के बाद वीजा नियमों में कुछ नरमी या बीच का रास्ता निकाला जा सकता है।

3. 'टैरिफ किंग' बनाम 'आत्मनिर्भर भारत': व्यापारिक तनाव पर चर्चा

डोनाल्ड ट्रम्प अपनी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार भारत को "टैरिफ किंग" कहा था और भारतीय सामानों पर भारी टैक्स लगाने की धमकी दी थी। 11 दिसंबर की इस बातचीत में "व्यापार" (Trade) एक मुख्य मुद्दा था।

ट्रम्प चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियों (जैसे Harley Davidson, Apple) को भारत में टैक्स छूट मिले, जबकि मोदी "मेक इन इंडिया" को बढ़ाना चाहते हैं। इस फोन कॉल का मतलब यह निकाला जा रहा है कि दोनों देश "ट्रेड वार" (Trade War) शुरू करने के बजाय बातचीत की टेबल पर बैठकर समाधान निकालेंगे। भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिकी सामानों के लिए बाजार खोलने को तैयार है, बशर्ते अमेरिका भारतीय टेक्सटाइल और फार्मा सेक्टर को नुकसान पहुंचाए।

4. रूस और पुतिन का कोण: अमेरिका की नाराजगी दूर हुई?

कुछ दिन पहले जब पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई थी, तो अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने दबी जुबान में नाराजगी जताई थी। पश्चिमी मीडिया ने लिखा था कि भारत "दो नावों" पर सवार है। लेकिन ट्रम्प के साथ मोदी की यह बातचीत साबित करती है कि भारत अपनी विदेश नीति किसी के दबाव में नहीं बदलता।

पीएम मोदी ने यह साफ कर दिया है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा (सस्ता रूसी तेल) और रक्षा जरूरतों के लिए रूस से रिश्ते रखेगा, लेकिन अमेरिका के साथ उसकी "ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप" अपनी जगह कायम है। ट्रम्प भी एक बिजनेसमैन हैं और वे समझते हैं कि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है जिसे रूस के नाम पर छोड़ा नहीं जा सकता।

5. रक्षा और तकनीक: भविष्य का रोडमैप

बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा (Defense), सुरक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।

  1. जेट इंजन डील: अमेरिका भारत को GE फाइटर जेट इंजन की तकनीक देने वाला है। इस बातचीत से यह सुनिश्चित हुआ है कि सत्ता परिवर्तन का असर इस डील पर नहीं पड़ेगा।
  2. स्पेस और ड्रोन: भारत और अमेरिका स्पेस में और ड्रोन तकनीक (Predator Drones) में मिलकर काम कर रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन इस सहयोग को और तेज करना चाहता है ताकि चीन की तकनीक को टक्कर दी जा सके।

6. वैश्विक शांति: क्या भारत बनेगा मध्यस्थ?

पीएम मोदी और ट्रम्प ने "वैश्विक शांति और स्थिरता" पर भी चर्चा की। दुनिया इस समय दो बड़े युद्धों (यूक्रेन-रूस और इजराइल-हमास) से जूझ रही है। ट्रम्प ने कई बार कहा है कि वे युद्ध रुकवा देंगे।

जानकारों का मानना है कि ट्रम्प चाहते हैं कि भारत, जिसके संबंध रूस और इजराइल दोनों से अच्छे हैं, पर्दे के पीछे रहकर शांति वार्ता में मदद करे। पीएम मोदी पहले ही कह चुके हैं कि "यह युद्ध का युग नहीं है" हो सकता है आने वाले दिनों में हम भारत को एक बड़े "पीस-मेकर" की भूमिका में देखें।

7. विपक्ष के लिए संदेश: विदेशी मोर्चे पर मोदी 'अजेय'

भारत के अंदर विपक्ष अक्सर आरोप लगाता है कि मोदी सरकार की विदेश नीति फेल हो रही है या पड़ोसियों से रिश्ते खराब हो रहे हैं। लेकिन ट्रम्प जैसे नेता, जो अपनी मनमर्जी के लिए जाने जाते हैं, उनका मोदी से इतनी गर्मजोशी से बात करना बताता है कि भारत का कद अब बहुत बड़ा हो चुका है। अगर देखा जाए तो भारत से रिश्ते सुधारना ट्रम्प की मज़बूरी भी है एक तरफ जहाँ उन्हें एशिया में संतुलन बनाये रखने के लिए भारत के साथ की ज़रूरत है वहीँ दूसरी ओर उन्हें अमेरिका के अंदर से भी भारत से रिश्ते सुधारने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।  

निष्कर्ष

11 दिसंबर की यह फोन कॉल भारत-अमेरिका रिश्तों में एक "रीसेट बटन" की तरह है। इसने सभी भ्रमों को दूर कर दिया है। तो भारत अमेरिका का पिछलग्गू बनेगा और ही अमेरिका भारत को नजरअंदाज कर पाएगा।

यह एक "लेन-देन" (Transactional) वाला रिश्ता है। ट्रम्प को चीन के खिलाफ भारत चाहिए और भारत को विकास के लिए अमेरिकी तकनीक और निवेश चाहिए। पीएम मोदी ने सही समय पर फोन करके यह सुनिश्चित कर दिया है कि 2026 में जब ट्रम्प पूरी तरह एक्शन में हों, तो भारत उनकी "प्रायोरिटी लिस्ट" में सबसे ऊपर रहे।

 

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डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें AI (Artificial Intelligence) द्वारा बनाई गई हैं और केवल प्रतीकात्मक (Representational) उद्देश्य के लिए हैं।